Thursday, 6 September 2012

परमाणु सहेली की मेहनत रंग लाई, परमाणु संयंत्र का उद्घाटन आज- BHARAT KEE PARMANU SAHELI


परमाणु सहेली की मेहनत रंग लाई, परमाणु संयंत्र का उद्घाटन आज

goyal
६ सितम्बर, फतेहबाद के बडोपल गाँव में आज गोरखपुर परमाणु विद्युत परियोजना का श्री गणेश किया गया। गौरतलब है कि आज से २ महीने पूर्व तक गोरखपुर परमाणु विद्युत परियोजना के विरोध में, क्षेत्रीय पब्लिक मरने-मारने पर उतारू थी। इस परियोजना पर पिछले चार वर्षों से पब्लिक विरोध की वजह से कार्य प्रारम्भ नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से भारत के समग्र विकास में, सालाना ७३५ अरब रूपये से लेकर ७३५० अरब रूपये के बराबर का विकास रूका हुआ था। १७ जुलाई, २०१२ की पब्लिक हियारिंग के बाद यहाँ के परमाणु विरोधी संगठनों ने छच्ब्प्स् से आई टीम को भगा दिया था।
छच्ब्प्स् के हिसार स्थित कार्यालय से ‘‘गोरखपुर परमाणु विधुत परियोजना’’ का बोर्ड हटा दिया गया था। इसी समय यहाँ पर भारत की परमाणु सहेली, डॉo. नीलम गोयल ने हरियाणा में अपना कदम रखा। भारत की परमाणु सहेली ने पूरे क्षेत्र का दौरा किया। और परिस्थिति को बहुत नाजुक स्थिति में पाया। भारत की परमाणु सहेली ने परमाणु ऊर्जा जागृति के एक महामहोत्सव का 21 व 22 अगस्त, 2012 को हिसार शहर में आयोजन किया। इस महामहोतस्व के पूर्व के 35 दिनों में, इन्होनें हरियाणा के पांच जिलों में अपने भाषणों, संगोष्ठियों, फेम्प्लेट्स, बुकलेट्स, पोस्टर्स, इत्यादि के जरीए परमाणु ऊर्जा जागृति का बिगुल बजा दिया। इन क्षेत्रों की आम से लेकर प्रबुद्ध, प्रतिष्ठित, शिक्षाविद, क्षेत्रीय पार्टी प्रतिनिधि, व्यापारी वर्ग जनता एवं प्राशासन, शासन इत्यादि ने भारत की परमाणु सहेली के वास्तविक ज्ञान का भरपूर लाभ उठाया और गोरखपुर पावर परियोजना में अपना पूरा नैतिक सपोर्ट देने को स्वीकारा।
प्रिटं एवं प्रेस मीडिया ने भारत के समग्र विकास के किये आवाश्यक परमाणु  विधुत ऊर्जा के महत्त्व के एवं वास्तविकता को सभी वर्गों तक की जनता में पहुंचाने में आपना कर्तव्य निभाया। ६ सितम्बर के उदघाटन के दिन को याद करके हरियाणा की समूची जनता भारत की परमाणु सहेली की आभारी रहेगी। और आशा रखेगी की भविष्य में भी इस परियोजना के सन्दर्भ में फैली भ्रांतियों का निराकरण करती रहें। भारत की परमाणु सहेली पब्लिक से ही आई हैं। ये न तो छच्ब्प्स् और न हीं भारत सरकार के किसी भी विभाग से जुडी हुई हैं। इन्होंने अपने कर्तव्य के पालन हेतु अपनी सहायक प्रोफेसर के पद से भी इस्तीफा दे दिया था।

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