Saturday, 29 September 2012

भारत देश में चार तबके के लोग हैं-



भारत देश में चार तबके के लोग हैं

पहला तबका- यह वो तबका है, जिसकी मासिक आय 4 हजार रूपये, या इससे कम, या फिर नगण्य है।
इस तबके के लोगों की जनसंख्या, भारत की कुल आबादी की अधिकतम प्रतिशत है। भारत में जब एक आदमी की मासिक औसत आय 4 हजार रूपये या इससे कम होती है, तो वह अपने 8 घंटे केे जीविकोपार्जन के समय में से सिर्फ एक घंटे ही काम करता है, बाकी के 7 घंटे में से दो घंटे चाय-नास्ता व भोजन में तथा 5 घंटे

 इधर-उधर की बातों में व जुगाड़बाजी में लगाता है।
ऐसा करने के पीछे दो खास वजहें हैं-
पहली, उसके पास करने के लिए काम ही नहीं है।
दूसरी, यह तबका इतनी कम आमदनी में, आज के वैश्विक युग में, जहांँ वह पूरे विश्व से जुडा हुआ है, अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों को ठीक से पूरा करने में स्वयं को असमर्थ पाता है। यह तबका फिर इधर-उधर से जुगाड़ पानी में लगा रहता है। इसकी इस कमजोरी का फायदा तथाकथित खैरख्वाह बहुत अच्छे से उठाना जानतें हैं। परिणाम यह होता है कि भारत की यह अधिकतम प्रतिशत जनता को ये खैरख्वाह या तो किसी पार्टी का गुलाम बना देते हैं या फिर किसी उच्च अधिकारी से कनेक्शन करवा देते हैं। और फिर चलता है गड़बड़ घोटालों का खेल। इस तरह से भारत की अधिकतम जनता दिक्भ्रमित सी अपने अस्तित्व को पाने के लिए कभी अन्ना जी जैसे संत के पीछे भागती है तो कभी श्री केजरीवाल, तो कभी श्रीमती किरण बेदी जी को ही अपना खैरख्वाह समझने लगती है। आखिर में इस अधिकतम जनता को मिलता क्या है?
यह वर्तमान भारत की स्थिति है।
ऐसे में बिजली की 1 यूनिट के उपभोग का औसतन आउट-पुट 75 रूपये आता है।
अतः वर्तमान में जबकि भारत की प्रतिव्यक्ति-प्रतिवर्ष बिजली उपभोग क्षमता 724 यूनिट है, तब भारत की सालाना पर-कैपिटा इनकम 54,300 रूपये है।

क्या होता, यदि भारत में भी वर्तमान में 5000 यूनिट की दर की बिजली का उत्पादन हो रहा होता?
प्रतियूनिट उपभोग से 75 रूपये की आय के द्वारा सालाना पर-कैपिटा इनकम 3 लाख 75 हजार रूपये होती।
5000 unit per-person per -year × Rs. 75 per unit income
= 3 लाख 75 हजार रूपये सालाना

नोट- 1. एक भारतीय, 3 लाख 75 हजार रूपये सालाना औसत आय पर एक घंटे की जगह 5 से 6 घंटे काम करता है, या यूंँ भी कह सकते हैं, कि प्रत्येक भारतीय के पास अब 5 से 6 घंटे काम करने के लिए काम होता है।
ऐसे में यह भारतीय सालाना इतने रूपये, यानी 3 लाख 75 हजार रूपये, पाने पर 5 गुना आउट-पुट देता है। अर्थात, ऐसे में भारत की पर कैपिटा इनकम 3 लाख 75 हजार रूपये की जगह, इसकी पाँच गुना, यानि, 18 लाख रूपये होती।

नोट- 2. जब एक भारतीय को सालाना 18 लाख रूपये मिलते हंै, तो वह अपना ब्रेन भी अपने काम में प्रयोग करने लगता है और पूरी तरह से dedicated होकर पहले से दुगना आउट-पुट देता है। अर्थात, फिर भारत की औसत पर-कैपिटा इनकम 36 लाख रूपये तक होती।

कहने का मतलब है कि, यदि भारत में बिजली उत्पादन की क्षमता 5000 यूनिट के दर की होती तो भारत की औसत पर-कैपिटा आय 18 लाख से लेकर 36 लाख रूपये के बीच होती।

दूसरा तबका
- इस में वो जनता आती है, जिसकी मासिक तनख्वाह 30 से 50 हजार रूपये के बीच है।
यह तबका अपना स्व विवेक प्रयोग करता है, और यह निर्णय लेता है कि क्या सही है और क्या गलत है। वह इन तथाकथित खैरख्वाहों को सुनता जरूर है लेकिन उचित और अनुचित का निर्णय स्वयं के पास ही रखता है। इस तबके के लोगों की प्रतिशतता अपेक्षाकृत कम है।


तीसरा तबका
- इस तबके की मासिक आमदनी, उसकी अपनी योग्यता के आधार पर 50 हजार रूपये से लेकर 3 लाख और इससे भी ज्यादा है। यह तबका सिर्फ और सिर्फ हर प्रकार के सृजन में लगा हुआ है।

चैथा तबका
-
वह है, जिसमें खैरख्वाह, तथाकथित समाजसेवी, अति-महत्वाकांक्षी लोग, क्षेत्रीय पार्टियों के कार्यकर्ता, इत्त्यादी लोग आते हैं।
नोट- हमारे देश की 75 प्रतिशत जनता की सोच पर चैथे तबके के लोंगो के व्यक्तिगत स्वार्थों, भावनाओं व महत्वकांक्षाओं का आधिपत्य बना हुआ है।

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